वो लड़की ...
समय बीतते देर नहीं लगती , पर कुछ बाते याद रहती है , कभी दिमाग से ओझल जरुर हो जाती है पर रहती है कही यादो के गलियारों में ही . अनायास कभी दस्तक दे जाती है और मुस्कुराने को विवश करती है .
आज ऐसा ही इक प्रसंग याद हो आया ,२००७ का , जब मैं पढाया करती थी , मै सुबह के दो बैच लेकर साढ़े ग्यारह बजे तक ज्यादातर घर के लिए निकल लेती थी . एक दिन जब मैं क्लास लेने के बाद निचे उतरी ही थी कि पीछे से क्लास की एक लड़की दौड़ी आई
"मैम आपसे बहुत जरुरी बात करनी है "
"हा बोलो"
"मैम पर्सनल है ..."
मुस्कुराते हुए कहा " बोलो तो "
"पता नहीं आप क्या समझिएगा , इसलिए अजीब लग रहा है , फिर लगा की आप अलग है , आप बाकी की तरह नहीं सोचियेगा ....इसलिए तो हिम्मत की आपसे बोलने की ..."
" बेफिक्र हो कर बोलो .."
" मैम वो सुन्दर ( मुझे नाम याद नहीं ) है न , वो मेरे पीछे पड़ा हुआ है , देखिये न कहता है जब तक तुम पटना में हो, यहाँ पढने आ रही हो , मै ही घर तक तुम्हे छोडूंगा ...मैम मेरा आलरेडी बॉयफ्रेंड है ,मै उसको कमिटेड हूँ मैम ..." वो मेरे से बात बात करते बहुत ही विश्वस्त लगने लगी थी , पर सच कहू मै अन्दर अन्दर ही अचरज में की ये लड़की मुझे क्या बता रही है , क्यों बता रही है , और कोई नहीं मिला ये सब बताने को .ये लड़की ग्वालियर में बायोटेक्नोलॉजी का कोर्स कर रही थी , गर्मी छूट्टी में आई थी पटना अपने घर और यहाँ इंग्लिश का इक प्रोग्राम ज्वाइन किया था जिसमे GD , प्रेजेंटेशन और गतिविधिया होती थी . अपने मन की उलझनों को इक पल में ही झटक दिया और उसे कहा " तुमने सुन्दर को बताया नहीं ये सब "
"बताया न मैम , पर वो नहीं मानता "
"क्या कहता है ?
" कहता है की मैं कहा आ रहा हूँ तुम्हारे और तुम्हारे बॉयफ्रेंड के बिच , कहता है तुम जब तक पटना में हो तबतक ही थोडा साथ चाहता हूँ एक दोस्त की तरह , फिर तुम यहाँ से चली जाउगी तो तुम्हारी और मेरी दुनिया अलग होगी "
" तुम क्या सोचती हो ? "
" मैम इसलिए तो आपके पास आई हूँ , समझ नहीं आता क्या करू , रोज घर छोड़ने के लिए वेट करता है , पर अजीब लगता है मैम , सुन्दर है बहुत अच्छा लड़का , मैम उसी ने मुझे मोटीवेट किया था एनुअल फंक्शन में एंकरिंग के लिए , मैम इतना अच्छा दे पायेंगे सोचा नहीं था , उसी ने सारे लाइन्स लिखे , कैसे कब क्या बोलना है सब उसी ने समझाया था ...सुन्दर को इस बात के लिए कभी नहीं भूल सकते . पर मैं कमिटेड हूँ मैम , मेरा बॉयफ्रेंड गुडगाँव में काम करता है ...."
"ठीक है ..जब तुम्हे अजीब लगता है , बेटर स्पस्ट बोल दो , ये मन में रोज का संशय क्यों रखना ..."
" हा मैम ...मुझे भी यही सही लगता है ...आप रुकिए न मैम , आपके साथ ही चलूंगी , आप गांधीनगर से हो कर जाती है न ..."
" हां.."
"मैं गाँधी नगर में ही रहती हूँ ...आती हूँ मैम तुरंत ..."
"ओके ...." कहते हुए कुछ कदम आगे चली थी की सामने से एक बाईक गुजरी , सुन्दर चला रहा था , और पीछे वही लड़की उसके कंधे पर हाथ रख मुस्कुरा रही थी और मुझे कुछ आँखों से इशारा कर रही थी मानो कह रही हो की सुन्दर नहीं माना ..
तबतक क्लास का एक दूसरा लड़का जो शायद उस लड़की को मेरे से बाते करते सुना या युही , आकर बोला
मैम ....इन दोनों का वेट कर रहे थे क्या .....इनका ई रोजे का काम है ...बाए मैम ..."
मै भी मुस्कुराते आगे निकल गयी ...
ये घटना गुजरे आज सात साल से ज्यादा होने को है पर जब भी याद आती है , कई सवालो से घिर जाती हूँ , गुरु शिष्यों के बिच का विश्वाश , समाज का बदलता परिवेश जहा अभी भी लड़का लड़की के बीच दोस्ती सवालो के घेरे में है .इन बातो पर चर्चा होती रहती है और होती रहेगी .
हा, उस लड़की से मेरी मुलाकात करीब दो साल पहले अचानक से हुई जब मैं ऑटो से स्टेशन जा रही थी , राजेंद्र नगर के स्तोपज पर वह दुसरे ऑटो से उतरी , मुझे देखते ही आई ,
मैम ....कितना अच्छा लग रहा है आपको देखा कर , आप कहा है ,
कैसी हो ?
ठीक हूँ मैम .... पता है मैम , मैं अगले साल फिर वहा इक महीने गयी थी , सब अच्छा था , पर आपको मिस किया मैम ...आपकी सूरत याद आती रहती ...आप क्या कर रही है ...
" कुछ अपना काम ऑनलाइन ...तुम क्या कर रही हो ...
" मैम ..मैं पटना में हूँ ...ललित नारायण से मैनेजमेंट कर रही हूँ....मैम आप अपना नंबर दीजिये ..."" में ने बताया , पर जब वह रिपीट करने लगी तो तो लगा की वो लास्ट का नंबर गलत बोली ...मैं कुछ बोलती कि ,.मेरा ऑटो तेजी से आगे बढ़ गया क्योंकी उसकी सीट भर गयी थी ....मुस्कुराते हुए उसके अभिवादन को स्वीकार किया ..."
पांच फीट दो या तीन इंच की वो न ज्यादा गोरी न ज्यादा सवाली , गोल चेहरे वाली , हमेशा बाल खुले रखने वाली , मौसमी चटर्जी सी मुस्कराहट लिए , अक्सर सफ़ेद ड्रेस में रहने वाली वो दिल की बिंदास लड़की को मैं शायद कभी भूल न पाउ .
समय बीतते देर नहीं लगती , पर कुछ बाते याद रहती है , कभी दिमाग से ओझल जरुर हो जाती है पर रहती है कही यादो के गलियारों में ही . अनायास कभी दस्तक दे जाती है और मुस्कुराने को विवश करती है .
आज ऐसा ही इक प्रसंग याद हो आया ,२००७ का , जब मैं पढाया करती थी , मै सुबह के दो बैच लेकर साढ़े ग्यारह बजे तक ज्यादातर घर के लिए निकल लेती थी . एक दिन जब मैं क्लास लेने के बाद निचे उतरी ही थी कि पीछे से क्लास की एक लड़की दौड़ी आई
"मैम आपसे बहुत जरुरी बात करनी है "
"हा बोलो"
"मैम पर्सनल है ..."
मुस्कुराते हुए कहा " बोलो तो "
"पता नहीं आप क्या समझिएगा , इसलिए अजीब लग रहा है , फिर लगा की आप अलग है , आप बाकी की तरह नहीं सोचियेगा ....इसलिए तो हिम्मत की आपसे बोलने की ..."
" बेफिक्र हो कर बोलो .."
" मैम वो सुन्दर ( मुझे नाम याद नहीं ) है न , वो मेरे पीछे पड़ा हुआ है , देखिये न कहता है जब तक तुम पटना में हो, यहाँ पढने आ रही हो , मै ही घर तक तुम्हे छोडूंगा ...मैम मेरा आलरेडी बॉयफ्रेंड है ,मै उसको कमिटेड हूँ मैम ..." वो मेरे से बात बात करते बहुत ही विश्वस्त लगने लगी थी , पर सच कहू मै अन्दर अन्दर ही अचरज में की ये लड़की मुझे क्या बता रही है , क्यों बता रही है , और कोई नहीं मिला ये सब बताने को .ये लड़की ग्वालियर में बायोटेक्नोलॉजी का कोर्स कर रही थी , गर्मी छूट्टी में आई थी पटना अपने घर और यहाँ इंग्लिश का इक प्रोग्राम ज्वाइन किया था जिसमे GD , प्रेजेंटेशन और गतिविधिया होती थी . अपने मन की उलझनों को इक पल में ही झटक दिया और उसे कहा " तुमने सुन्दर को बताया नहीं ये सब "
"बताया न मैम , पर वो नहीं मानता "
"क्या कहता है ?
" कहता है की मैं कहा आ रहा हूँ तुम्हारे और तुम्हारे बॉयफ्रेंड के बिच , कहता है तुम जब तक पटना में हो तबतक ही थोडा साथ चाहता हूँ एक दोस्त की तरह , फिर तुम यहाँ से चली जाउगी तो तुम्हारी और मेरी दुनिया अलग होगी "
" तुम क्या सोचती हो ? "
" मैम इसलिए तो आपके पास आई हूँ , समझ नहीं आता क्या करू , रोज घर छोड़ने के लिए वेट करता है , पर अजीब लगता है मैम , सुन्दर है बहुत अच्छा लड़का , मैम उसी ने मुझे मोटीवेट किया था एनुअल फंक्शन में एंकरिंग के लिए , मैम इतना अच्छा दे पायेंगे सोचा नहीं था , उसी ने सारे लाइन्स लिखे , कैसे कब क्या बोलना है सब उसी ने समझाया था ...सुन्दर को इस बात के लिए कभी नहीं भूल सकते . पर मैं कमिटेड हूँ मैम , मेरा बॉयफ्रेंड गुडगाँव में काम करता है ...."
"ठीक है ..जब तुम्हे अजीब लगता है , बेटर स्पस्ट बोल दो , ये मन में रोज का संशय क्यों रखना ..."
" हा मैम ...मुझे भी यही सही लगता है ...आप रुकिए न मैम , आपके साथ ही चलूंगी , आप गांधीनगर से हो कर जाती है न ..."
" हां.."
"मैं गाँधी नगर में ही रहती हूँ ...आती हूँ मैम तुरंत ..."
"ओके ...." कहते हुए कुछ कदम आगे चली थी की सामने से एक बाईक गुजरी , सुन्दर चला रहा था , और पीछे वही लड़की उसके कंधे पर हाथ रख मुस्कुरा रही थी और मुझे कुछ आँखों से इशारा कर रही थी मानो कह रही हो की सुन्दर नहीं माना ..
तबतक क्लास का एक दूसरा लड़का जो शायद उस लड़की को मेरे से बाते करते सुना या युही , आकर बोला
मैम ....इन दोनों का वेट कर रहे थे क्या .....इनका ई रोजे का काम है ...बाए मैम ..."
मै भी मुस्कुराते आगे निकल गयी ...
ये घटना गुजरे आज सात साल से ज्यादा होने को है पर जब भी याद आती है , कई सवालो से घिर जाती हूँ , गुरु शिष्यों के बिच का विश्वाश , समाज का बदलता परिवेश जहा अभी भी लड़का लड़की के बीच दोस्ती सवालो के घेरे में है .इन बातो पर चर्चा होती रहती है और होती रहेगी .
हा, उस लड़की से मेरी मुलाकात करीब दो साल पहले अचानक से हुई जब मैं ऑटो से स्टेशन जा रही थी , राजेंद्र नगर के स्तोपज पर वह दुसरे ऑटो से उतरी , मुझे देखते ही आई ,
मैम ....कितना अच्छा लग रहा है आपको देखा कर , आप कहा है ,
कैसी हो ?
ठीक हूँ मैम .... पता है मैम , मैं अगले साल फिर वहा इक महीने गयी थी , सब अच्छा था , पर आपको मिस किया मैम ...आपकी सूरत याद आती रहती ...आप क्या कर रही है ...
" कुछ अपना काम ऑनलाइन ...तुम क्या कर रही हो ...
" मैम ..मैं पटना में हूँ ...ललित नारायण से मैनेजमेंट कर रही हूँ....मैम आप अपना नंबर दीजिये ..."" में ने बताया , पर जब वह रिपीट करने लगी तो तो लगा की वो लास्ट का नंबर गलत बोली ...मैं कुछ बोलती कि ,.मेरा ऑटो तेजी से आगे बढ़ गया क्योंकी उसकी सीट भर गयी थी ....मुस्कुराते हुए उसके अभिवादन को स्वीकार किया ..."
पांच फीट दो या तीन इंच की वो न ज्यादा गोरी न ज्यादा सवाली , गोल चेहरे वाली , हमेशा बाल खुले रखने वाली , मौसमी चटर्जी सी मुस्कराहट लिए , अक्सर सफ़ेद ड्रेस में रहने वाली वो दिल की बिंदास लड़की को मैं शायद कभी भूल न पाउ .
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