मेरी नज़र में जशोदाबेन की चुप्पी किसी के लिए प्रेरणाश्रोत नहीं हो सकती . पर ये भी सच्च है की वो चाहती तो काफी हंगामा कर सकती थी . उन्होंने अपने एकाकी जीवन को कैसे जिया और किन परिस्थितियों में जिया ये उत्सुकता का विषय है. इक महिला के रूप में चाहूंगी की वो इस देश के सामने आये और निर्भीक होकर जवाब दे
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