मेरी मुलाकात इक महिला से अक्सर इक ब्यूटी पार्लर में हुआ करती थी . उसका इक छोटा सा लेडीज गारमेंट्स का दुकान बगल में था जो न के बराबर ही चलता था, इसलिए वो अक्सर पारलर में ही बैठी हुई मिलती थी. वो अक्सर अपने बेटी और सास-ससुर पर चर्चा करती , कैसे वो उनका ख्याल करते है और वो लोग उसका कितना ख्याल करते है. सुन्दर और सुहागन , उसके मांग के सिन्दूर से स्पस्ट था. हां , होठो पर इक अजीब सी लाचार सी मुस्कान थी , मैंने सोचा की शायद दुकान चलती नहीं इसलिए ये भाव है. पर कुछ महीनो के बाद ये बात कही दिमाग में खटकने लगी थी की ये अपने पति की चर्चा कभी नहीं करती . दिमाग में सवाल उठा और पारलर से निकलते कही दिमाग से निकल भी जाता था क्योकि पारलर इक डेढ़ महीने बाद ही जाना होता .. बाद में इक दिन देखा उसका दुकान बंद हो गया था संयोगवश बगल का पार्लर भी बंद हो गया था . मैं बगल के इक मार्किट में खुले इक पारलर में जाने लगी . पता नहीं क्यू इक दिन ये दूसरी पारलर वाली मेरे से पूछने लगी की आप उस महिला को जानती है . मैंने बताया की कुछ खास नहीं , तब उसने मुझे जो बताया तो आज भी याद कर मुझे दहशत होती है .
उस महिला का पति शादी के पहली रात बिताकर दुसरे दिन जो बहार गया , आज तक नहीं लौटा , न कोई खबर न उसकी लाश . उसके सास-ससुर उसे कुछ खास मौके पर ही मायका जाने देते है , बेटी है जो चौथी कक्षा में पढ़ती होगी ....आगे का याद नहीं उसने क्या कहा , क्योकि मैं उस सुन्दर और सुहागन महिला की खामोश दर्द भरी मुस्कान को शायद महसूस करने लगी थी ...
उस महिला का पति शादी के पहली रात बिताकर दुसरे दिन जो बहार गया , आज तक नहीं लौटा , न कोई खबर न उसकी लाश . उसके सास-ससुर उसे कुछ खास मौके पर ही मायका जाने देते है , बेटी है जो चौथी कक्षा में पढ़ती होगी ....आगे का याद नहीं उसने क्या कहा , क्योकि मैं उस सुन्दर और सुहागन महिला की खामोश दर्द भरी मुस्कान को शायद महसूस करने लगी थी ...
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