Tuesday, April 12, 2016

दिनकर को नहीं जानती ??

Feb 27, 2016 7:18pm
दिनकर को नहीं जानती ??

पार्लर का दरवाजा जैसे ही खोला देखा , दोनों कुर्सियों पर दो महिलाये बैठी हुई है . स्पस्ट था की मुझे इंतज़ार करना होगा , इसलिए ज्यादा न सोचते हुए पार्लर के पीछे की तरफ रखे गद्देदार बेंच पर थोड़ा दाए तरफ तिरछे हो कर बैठ गयी , क्योकि बाए तरफ कुछ सामान रखा था . बैठते ही पास रखे एक मैगज़ीन को उठा कर कुछ पन्ने पलटे ही थे की सामने दाए तरफ बैठी महिला सामने लगे आईने में दीख गयी. देखते ही नज़र थोड़ी देर के लिए रूक गयी उन्हें देखने के लिए , वह महिला थी ही इतनी सुन्दर . काश हाथ में कैमरा होता , चुपके से एक क्लिक कर लेती ऐसा एक बार मन सोचा था , वैसे आज भी उनकी सूरत मन के कैमरे से जो क्लिक किया था , सुरक्ष्हित है . गोरा रंग सिर्फ कहू तो कम होगा , लग रहा था जैसे वे हलकी गुलाबी रंग की हो , उम्र शायद मैं कम ही आंकती , पर मेरे दाए तरफ रखे बेंच पर उनकी छोटी बहन बैठी थी जो स्पस्ट रूप से पचास से ऊपर लग रही थी और उन्हें बात बात में दी, दी कर रही थी , इसलिए मन उम्र को लेकर भले ही आश्वस्त हो गया की वे बड़ी है, पर उनकी सुंदरता इस वजह से कहि भी कम नहीं लगी . सूरत पर थोड़ी भी उम्र की कोई सीकन नहीं न कोई दाग ...इंग्लिश में कहे तो फ्लॉलेस स्किन , होठ पर लिपस्टिक हलके लाल रंग की , ललाट पर छोटी सी लाल बिंदी .हलके टेढ़े मांग में थोड़ा सा लाल सिन्दूर , पतली सी भौहे , आँखों में हल्का काजल और उन सबसे ऊपर बहुत ही मधुर मुस्कान होठो पर, जो लग रहा था मानो , उनके पुरे सूरत पर बिखरा हो रौशनी की तरह . आँखे मुस्कुरा रही थी की होठ, कह नहीं सकते थे . देखने हुए सोचने लगी की इन्हे क्या करवाना है , सब कुछ तो करा धरा है , तब ध्यान गया की वे अपने बालो की हलकी छंटाई करवा रही थी और शायद इसके पहले भौहे भी सेट करवाई .

सामने आईने में लगातार देखना अच्छा नहीं लगता , इसलिए नज़रे निचे कर मैगजीन का पन्ना पलट्ने लगी , कोई जयादा दूरी तो थी नहीं इसलिए कुछ बाते न चाहते हुए भी कान में पड़ने लगी और ध्यान भी जाने लगा . बगल वाली बाई कुर्सी पर एक हलके सावले रंग की लड़की थी जो अपने बाल को कोई नया रूप दिलवा रही थी ,बगल में में उसकी माँ भी बैठी थी . मेरे आने से पहले लगा की सभी में जिसमे पार्लर की मालकिन और उसकी सहायिका भी थी सभी में , एक औपचारिक बात चित शुरू हो गयी थी और मेरे आने तक एक लय में बातचीत बही जा रही थी . माँ बेटी दोनों इस सुन्दर महिला को मैम कह कर सम्बोधित कर रहे थे , मुझे ज्यादा देर न लगी ऐसा क्यों हुआ होगा . मैम काफी सवाल बिल्कुल एक शिक्षिका की तरह उस लड़की से किये जा रही थी . वह लड़की कही से BCA कंप्यूटर कोर्स कर रही थी और उनकी बातचीत से पता लगा कि यह सुन्दर महिला अमेरिका में रहती थी , पटना अपने बहन के घर आई हुई थी किसी शादी में जाने के लिए, जो बिहार में कहि किसी शहर में था. वे पटना में ही पली बढ़ी और पढ़ी थी . बड़े ही प्रसन्नचित भाव से वे प्रश्न कर रही थी और वह लड़की और उसकी माँ भी बड़े आदर भाव से उसका जवाब दे रहे थी. जैसे ये कोई पार्लर नहीं कक्षा हो और वे दोनों विद्यार्थी .

पर कोई भी लय हो कही तो उतार चढाव तो आना ही होता है , ऐसा मै मानती हूँ और इस बातचीत में भी व्ही हुआ . उन्होंने बातचीत में ये बता दिया की वे ६० से ऊपर की महिला है . लड़की ने पुछा की आपके सुंदरता का राज क्या है तो वह बोली की मैं कभी भी मेकअप नहीं करती, बहुत हुआ तो वैसेलिन लगाती हूँ . तभी अचानक उस लड़की की माँ ने पूछ दिया मैम आज इस उम्र में आप गजब ढा रही है , जवानी में तो आपके घर के आगे लाइन लगी होती होगी , इस पर उनकी छोटी बहन जो मेरे दाए तरफ के बेच पर बैठी थी बोल पड़ी , अरी मत पूछो . बहुत मुश्किल होती थी कॉलेज जाना . तभी पता चला वे पटना विमेंस कॉलेज में पढ़ी थी ( ये कॉलेज आज भी पटना का बहुत ही विख्यात महिला कॉलेज है ) पर वह जमाना अलग था , इतनी स्वतंत्रता नहीं थी , घर से पूरी नज़र रहती थी . फिर लड़की की माँ बोल पड़ी आपकी शादी हुई होगी तो कितनो के दिल टूटे होंगे , तब मुझे अभी भी उनकी सूरत याद है वे उस उम्र में भी शर्मा गयी थी और एक मनमोहक से हंसी आई उनकी सूरत पर , ये सब मैं सुनते हुए सामने आईना देखना बिल्कुल नहीं भूलती .उन्होंने कहा था , पता नहीं किसके दिल टूटे मैं तो स्टेट्स चली गयी और फिर वह की लाइफ , कहा पीछे देखने का मौका मिलता है .
फिर भी मैम कोई तो घटना होगी न जो आपको याद होगा जब कोई आपकी सूरत को देखता ही रह गया हो ये प्रश्न लड़की ने कर दिया ,

ये सुनते ही उनकी छोटी बहन बोल पड़ी , अरी दी याद है जब रामधारी सिंह दिनकर आये थे , स्टेज पर सभी आपको देख रहे थे ,
अरी हां , बड़ी बहन ने हामी भरी और रामधरी सिंह दिनकर जी ...

अभी वाक्य पूरी हुई भी नहीं थी की लड़की ने पूछा ये रामधारी सिंह दिनकर कौन है ..

तुम नहीं जानती ...वह सुन्दर महिला जो अब तक प्रसन्न चित मुद्रा में थी बिल्कुल गंभीर हो गयी ..स्कूल में नहीं पढ़ा , कॉलेज में नहीं पढ़ा उनके विषय में , वे बिहार के ही नहीं भारत के महान हिंदी कवि में गिने जाते है ...लगा की जैसे पार्लर आज क्लासरूम हो ही गया , मैं भी जो इस बातचीत का आनंद ले रही थी, सहम गयी .

मैम कोचिंग और अपने कंप्यूटर कोर्स से फुर्सत मिले तो ये सब याद रहे ...स्कूल में शायद पढ़ा हो , अब तो सिलेब्स भी बदल गया है ...

अरी आप तो पढ़ी होंगी ...लड़की की माँ की तरफ मुखातिब होकर पूछा

अरे मैम बाल बच्चो से घर गृहस्थी से फुर्सत मिले तो ...पढ़ा होगा ..याद नहीं ...

पार्लर वाली जो उनके बाली की त्रिम्मिंग ख़त्म ही करने को थी बिना पूछे ही बोल पड़ी ...अपने काम कस्टमर से फुर्सत कहा मिलती है मैडम जो पढ़ाई हो इन सबकी और याद भी रहे ..

मै माँ , बेटी और पार्लर वाली की बात और बहाने सुन अंदर ही अंदर हंस रही थी और मैगज़ीन के पन्ने को यही उलट प्लाट रही थी

क्या बात करती है ..आप लोग पढ़ी लिखी है ...मैं भी घर गृहस्थी वाली महिला हूँ ..अपने राज्य और देश के बारे में जानना चाहिए ...सुन्दर महिला की ललाट पर सिकन हलकी सी आ गयी थी ..मुस्कान तो लगा जैसे पार्लर का दरवाजा खोल रफूचक्कर हो गयी थी .

हमारे वक्त तो , दिनकर की कविता का बिना कोई भी हिंदी का सिलेब्स पूरा नहीं होता था , बचपन से लेकर कॉलेज तक ...क्या अब नहीं पढ़ाई होती ...

पता नहीं अचानक मुझे क्या हो गया मैं बोल पड़ी ..." क्षमा शोभती उस भुजंग को , जिसके पास गरल हो "

इतना सुनते ही वह सुंदर सी सूरत जिसे मैं इतने देर से आईने में देख रही और जो अब तक शिकन से भर गयी थी , कुर्सी पर बैठ ही मेरी तरफ मुड़ी और अपनी प्यारी सी मुस्कान से मेरा मौन अभिवादन किया ...मैंने भी मुस्कुरा कर ही जवाब दिया
हां ..आपको पता है ...पढ़ाई होती है न अभी भी ...दिनकर की कुछ पुस्तको का नाम लिया ...तब तक वे उठ चुकी थी कुर्सी से ..

जी पढ़ाई होती है अभी भी ..बिहार दिनकर को कैसे भूल सकता है ..
हां ...बहुत ही महान कवि ..उनकी रचनाये अमर है ...उनका कुरुक्षहेत्र हिंदी की महानतम रचनाओ में एक है ..
जी ...मैं कुछ ज्यादा बोल न सकी ..उन्हें देखती रही ...वे मुस्कुराते हुए जा रही थी ..एक अजीब सा शुकून मिला ...ध्यान दिया चलते हुए थोड़ी दिक्कत थी उन्हें ..व्ही उम्र का असर होगा ..पर एक अफ़सोस रहा उनके कॉलेज वाली कहानी अधूरी रह गयी. हिम्मात मेरी तो नहीं थी की पुछू ..जिन्होंने पूछा था वे फिलहाल मौनव्रत धारण कर चुके थे ..

उनके जाने के बाद उनकी कुर्सी पर लड़की की माँ बैठ गयी , उन्हें अपने भौहे सेट करवानी थी.मतलब मुझे और दस मिनट बैठना होगा ..ये सोच मैगज़ीन को गंभीरता से पढ़ने लगी क्योकि अब सामने आईने में कोई सूरत ऐसी थी नहीं कि देखू

दिनकर पर फिर कोई बात नहीं हुई उसके बाद ,न मैंने ही छेड़ा , माँ बेटी और पार्लर वाली इसी बहस में लग गए की वह महिला साफ़ झूठ बोल रही थी कि वह कोई मेकअप नहीं करती . पार्लर वाली ने मुझे भी उस बहस में शामिल करने कि पूरी कोशिश कि उन्होंने कुछ एडवांस सेर्जेरी मेकअप अमेरिका में ही करवाया होगा नहीं तो इस उम्र में ऐसा स्किन हो ही नहीं सकता ...
मैंने सिर्फ हामी भर दी " हां हो सकता है ...मार्किट में बहुत कुछ आ गया है , पर सब कर के भी इतना आसान नहीं है सुन्दर होना..."

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