Saturday, June 18, 2016

उम्मीद ...Hope

उम्मीद की शिखर देख
सुस्त कदम की
उंगलिया भी
हिल जाती है ...
उम्मीद की छाँव में 
जिन्दा लाश भी
अपनी आँखे खोल
मुस्कुराता है ..
चलो उम्मीद की
टहनियाँ लगाते है ..

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