उम्मीद की शिखर देख
सुस्त कदम की
उंगलिया भी
हिल जाती है ...
उम्मीद की छाँव में
जिन्दा लाश भी
अपनी आँखे खोल
मुस्कुराता है ..
चलो उम्मीद की
टहनियाँ लगाते है ..
सुस्त कदम की
उंगलिया भी
हिल जाती है ...
उम्मीद की छाँव में
जिन्दा लाश भी
अपनी आँखे खोल
मुस्कुराता है ..
चलो उम्मीद की
टहनियाँ लगाते है ..
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