Tuesday, July 19, 2016

Poetry : पता नहीं कैसे

 
May 30
पता नहीं कैसे
दोनों एक साथ
बिखर गये
खुद को समेटने
में इतने हो गये
मशरूफ
खबर ही
नहीं रही
कि तुम
किधर गये
और हम
किधर गये ...

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